A story a person there childhood as a prince but present....
My life part 1
नमस्ते दोस्तो
एक कहानी राज की आपका स्वागत करता है
ये कहानी उस लड़के कि है जो उस गांव में पैदा हुआ जहा पर कोई बात कई दशको बाद पता चलता था
जैसे शहर में कोइ घटना 1970 में हुआ तो गांव में 1985 तक लोगोको पता चले फिर भीं इतना पीछे चलने के बाद भी एक परिवार थोड़ा एडवांस था कारन की उस समय में उसके नानाजी गांव के मुखिया थे और उस फैमिली में बहुत लंबे इंतेज़ार के बाद किसी लड़के का जनम हुवा था वो भी लड़का
पूरें फैमिली में ओ सबका लाड़ला था
बचपन बिल्कुल राजकुमार जैसें एक वजह और भी था अभी तक वो उस फैमिली में अकेला वारिश था क्योकि बड़े पापा कि शादी क़ो कई साल बीत गए पर उनकी कोई संतान नहीं थीं दादी बूढ़ी हो चुकी थी एक आस थी की अपने पोते का मुँह देख लूँ इसी आस के साथ जी रही थी दादाजी उस समय चल बसे जब 2 बेटे और 2 बेटियों की शादी हुयी अब एक बूढ़ी दादी अकेले प्यार को तरस रही थी तीन बेटे थे और तीन बेटी होने बाद भी अकेले कुटिया में रहती थी वजह वही सास बहू की लड़ाई कुछ दिन दूसरे बेटे के साथ रही तीसरे बेटे और बेटी की शादी के बाद पंचायत ने अकेले रहने कह दिया क्योकि कुछ दिन बाद आपस में तालमेल कुछ ज्यादा बिगड़ गया
भगवान नें दादी के मन और पीड़ा को देखते हुये पुकार सुनी और 10 साल बाद दूसरे बेटे के घर एक लड़के ने जन्म लिया दादी अन्तिम चरण में थी जैसे आस पूरी हो और सकून से स्वर्ग जा सके भगवान ने दादी पोते का साथ 2 या 3 साल ही रखा इस बीच दादी ने पोते को बहुत प्यार दिया दादी भी ऐसे स्वर्ग गयी जैसे कोई फरिस्ता कुछ लिए . .... .
दोस्तों आप साथ बनाये रखे
आगे क्या हुआ जाने
एक कहानी राज की आपका स्वागत करता है
ये कहानी उस लड़के कि है जो उस गांव में पैदा हुआ जहा पर कोई बात कई दशको बाद पता चलता था
जैसे शहर में कोइ घटना 1970 में हुआ तो गांव में 1985 तक लोगोको पता चले फिर भीं इतना पीछे चलने के बाद भी एक परिवार थोड़ा एडवांस था कारन की उस समय में उसके नानाजी गांव के मुखिया थे और उस फैमिली में बहुत लंबे इंतेज़ार के बाद किसी लड़के का जनम हुवा था वो भी लड़का
पूरें फैमिली में ओ सबका लाड़ला था
बचपन बिल्कुल राजकुमार जैसें एक वजह और भी था अभी तक वो उस फैमिली में अकेला वारिश था क्योकि बड़े पापा कि शादी क़ो कई साल बीत गए पर उनकी कोई संतान नहीं थीं दादी बूढ़ी हो चुकी थी एक आस थी की अपने पोते का मुँह देख लूँ इसी आस के साथ जी रही थी दादाजी उस समय चल बसे जब 2 बेटे और 2 बेटियों की शादी हुयी अब एक बूढ़ी दादी अकेले प्यार को तरस रही थी तीन बेटे थे और तीन बेटी होने बाद भी अकेले कुटिया में रहती थी वजह वही सास बहू की लड़ाई कुछ दिन दूसरे बेटे के साथ रही तीसरे बेटे और बेटी की शादी के बाद पंचायत ने अकेले रहने कह दिया क्योकि कुछ दिन बाद आपस में तालमेल कुछ ज्यादा बिगड़ गया
भगवान नें दादी के मन और पीड़ा को देखते हुये पुकार सुनी और 10 साल बाद दूसरे बेटे के घर एक लड़के ने जन्म लिया दादी अन्तिम चरण में थी जैसे आस पूरी हो और सकून से स्वर्ग जा सके भगवान ने दादी पोते का साथ 2 या 3 साल ही रखा इस बीच दादी ने पोते को बहुत प्यार दिया दादी भी ऐसे स्वर्ग गयी जैसे कोई फरिस्ता कुछ लिए . .... .
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